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परंपराएं भले ही भिन्न हों, लेकिन भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत हमें एक सूत्र में पिरोते हैं।


आनंद महक न्यूज नेटवर्क जैन धर्म में दो प्रमुख परंपराओं, दिगंबर और श्वेतांबर, के बीच एकता और समरसता का अद्वितीय उदाहरण सोमवार 17 फरवरी को अलकेश मोदी परिसर में दिगंबर परंपरा के प्रतिष्ठित जैनाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज और श्रमण संघ परंपरा के युवाचार्य श्री महेंद्रऋषिजी  म.सा.,मालवा प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी,उप प्रवर्तक श्री अक्षय ऋषि जी,बरसादाता श्री गौतम मुनि जी का आध्यात्मिक मिलन हुआ।यह ऐतिहासिक मिलन भगवान महावीर स्वामी के शाश्वत सिद्धांतों और व्यवहारिक आदर्शों की पृष्ठभूमि में जैन धर्म की एकता का प्रतीक है। दोनों परंपराओं के आचार्य ओर युवाचार्यश्री ने एक-दूसरे के प्रति आदर व्यक्त करते हुए धर्म, साधना, और मानवता के लिए समर्पण को प्रमुख बताया।इस अवसर पर दोनों ने समाज को आह्वान करतें हुये कहा अहिंसा सत्य, अपरिग्रह और तपस्या जैसे भगवान महावीर स्वामी के आदर्शों को जीवन मे अपनाये श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने अपने फरमाया जैन धर्म का मूल आधार आत्मा की शुद्धि और अहिंसा है, जो किसी भी परंपरा से परे है। वहीं, युवाचार्यश्री महेंद्रऋषि जी महाराज साहब ने समन्वय और संवाद को आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग बताया। अल्केश मोदी परिसर कार्ला इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना, जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने युवाचार्यश्री जैनाचार्यश्री, मालवा प्रवर्तक श्री आदि के साथ साधु -साध्वी वृंद का सान्निध्य में धर्म का अनुभव प्राप्त किया। इस आध्यात्मिक संगम ने जैन समाज को यह संदेश दिया कि परंपराएं भले ही हमारी भिन्न हों, लेकिन भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत हमें एक सूत्र में पिरोते हैं ।


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