नारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि शक्ति, त्याग और ममता का प्रतीक है — श्रमणसंघीय युवाचार्य महेन्द्रऋषिजी महाराज

ठाणे मुंबई (आनंद महक न्यूज नेटवर्क)नारी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि शक्ति, त्याग और ममता का प्रतीक है। उसके बिना समाज का अस्तित्व अधूरा है। शनिवार को कासारवडावली ठाणें जैन स्थानक मे श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी महाराज ने विशेष धर्मसभा मे श्रध्दांलुओ को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुयें कहां हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी न किसी नारी का योगदान होता है। चाहे वह माँ, बहन, पत्नी, या बेटी के रूप में हो, नारी अपने कर्तव्यों को निस्वार्थ भाव से निभाकर समाज और परिवार को सशक्त बनाती है नारी शक्ति का स्वरूप है नारी का अपमान करने पर जीवन मे सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हो, सम्मान करने पर ही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। मालवा प्रवर्तक प्रकाश मुनि ने कहा कि स्त्री केवल सृष्टि की रचयिता ही नहीं है, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है। वह शक्ति, ममता और त्याग का ऐसा स्वरूप है, जो मानवता को दिशा प्रदान करती है। नारी ने अपनी दोहरी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए यह साबित कर रही है कि वह किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। वह सशक्त समाज की नींव है। महासती ज्ञानप्रभा साध्वी मुक्ति प्रभा ओर साध्वी वितराग वंदना ने सभा को संबोधित करते हुए कहा आत्मा और शरीर अलग-अलग हैं। जब व्यक्ति इस तत्व को समझ लेता है, तो वह संसार के असार होने का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करके व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सार्थक बनाकर संसार से तिर सकता है। राष्ट्रीय जैन कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष नेमीचंद धाकड़ मेवाड़ संघ के नरेश लोढ़ा, प्रकाश बदामा, महेंद्र चंडालिया, दिनेश खटवड़ मंत्री गणेश वडाला, मांगीलाल लोढ़ा आदि अतिथियों के साथ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उपसंघ ठाणें के अध्यक्ष विनोद तातेड़ मंत्री भरत साबला कोषाध्यक्ष प्रवीण वडाला नवयुवक मंडल के अध्यक्ष मनोज मेहता, संदीप आंचलिया, अरविंद रांका ओर महिला मंडल की रेखा सिंघवी, नम्रता मांडोत सुनीता चंडालिया कन्या मंडल की अनुष्का सियांल, खुशी तातेड़, सोनाली खटवड़, अजित खमेसरा, गौतम बोहरा विनोद चंडालिया, पवन कोठारी, चंचल सिघवी, दिलीप चौरड़िया आदि की धर्मसभा मे श्रध्दांलुओ के साथ उपस्थित रही। कासारवडावली ठाणें जैन स्थानक मे युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी ओर 41 साधू साध्वीवृंद के प्रथम बार पदापर्ण पर उप संघ ओर सम्पूर्ण मुम्बई जैन समाज के धर्मावलंबियों ने गुरूभगवंतो का अभिनन्दन किया गया।