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भ. महावीर से जोडने की व्यवस्था है या महावीर से तोडने की पंरपरा? उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीणऋषिजी

पहले जोडना किस से पचकान या महावीर?


जलगांव (आनंद महक न्यूज नेटवर्क)तारणहार केवल पंच परमेष्ठी है इसके अलावा कोई भी आपको नही तार सकता ना कोई सिध्द बना सकता तीर्थ बना सकता !इसको हम जानते हैं पढते है समझते हैं पर स्विकार नही करते! हमने आज पंरपरा को स्विकार किया पंरपरा को ग्रहण किया पर तीर्थंकर को ग्रहण नही किया ना करानेवाला आपको मिला जो परमात्मा के साथ जुड़े, वह गुरु है अपने और अपनी पंरपरा के साथ जोड़े वह गुरू नहीं है!  किसी भी मौलवी या फादर को पुंछो वो किसको मानता है उसके मुख से एक ही नाम आएगा खूदा,और हमें कोई पुछे तो हमारे मुख से परंपरा का नाम आएगा अलग अलग गुरुओ का नाम आएगा भगवान महावीर का नाम नही आता इसका चिंतन कभी हूआ क्या ! पंरपराओ से शासन जयवंत होगा या परंपरा से यह सोचो हमने परंपराओ से प्यार करना सिखा और भ महावीर से प्यार करना छोड़ दिया और परमात्मा से प्यार नही तो उनका धर्म कभी स्विकारा नही जाता ! अनेक पंरपराओ मे अटके और भटके हमारे समाज संघ के पास तीर्थंकर के साथ जोडने की व्यवस्था हमारे पास है है क्या या हम कर सकते क्या आज पचकान,जबरदस्ती और पंरपरा के नामपर हम महावीर को विश्वतक नही पहुचा पाए ऐसा सटिक चिंतन उपाध्याय प्रवर पूज्य श्री प्रवीणऋषिजी म सा ने सभी को फरमाते हुए सभी को चिंतन के लिए मजबुर कर दिया


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